कतरा एक रोशनी का
किसी आसमान से जो
टूट के गिरा
बटोर हमने आँगन के
एक कोने में
बो दिया था यूँ ही
जो सालों बाद घर लौटे
तो देखा
पेड़ उग आया है
वीरान जमीं पर
हर एक टहनी पे
सौ सौ सूरज
अलमस्त लटक रहे हैं
ख़ुशी से जो पलकें झपकी
तो एहसास हुआ
बंद आँखों में भी
अँधेरा खतम हो चुका है!
Adorable...!!!
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