Sunday, December 9, 2012
All that’s Good
Sunday, July 1, 2012
Walking on the Thin Ice
Walking on a thin ice, I dwell
On the dulcet days of yore
‘tis when the pain starts to swell
But I’ve to hold my ground some more
That sound of rupture, I hear
If it is silver lining, I see?
No - its milky cracks, I fear
And I may soon be set free
If only I have the luxury
Of time, so I can wait
A little, before I be ready
To meet my final state
How can I be no delirious
How can I still rejoice
The path I tread is perilous
And I still walk on a thin ice.
Saturday, March 24, 2012
थोड़ा ज्यादा
आज कल मैं खुद से कुछ ज्यादा मांगने लगा हूँ
थोड़ी ज्यादे बड़ी खुशी, थोड़ी ज्यादे लंबी हंसी
थोड़े जीत के लम्हें ज्यादे, थोड़ा बेहतर होने का एहसास;
स्वार्थ है या बेवकूफी
लालच है या चुनौती
है अहंकार या कुछ भी नहीं
नशा सा है जो भी है ये;
कभी जब बर्दाश्त तक चढती है
तो मजा देती है
हर वो काम जो चंद लम्हों पहले कठिन लगता था
कर लेता हूँ
और फिर थक कर जब बैठता हूँ
तो फुले नहीं समाता
देख के अपनी ही रचना को;
कभी जब बर्दाश्त तक चढती है
तो उतरने के बाद भी मजा देती है
कभी जब सर पर चढ़ जाये
तो सब उल्टा हो जाता है
दुनिया भी, काम भी और नशे का अंजाम भी
हर सरल तरीके से भरोसा उठ जाता है
और हर काम कठिन हो जाता है
इतना पूर्ण तो उसका संसार भी नहीं
जितना मैं चाहता हूँ;
कभी जब सर पर चढ़ जाये
तो न उतरने में ही भला होता है
हर नशे की तरह ये नशा भी बुरा है
मुझे भी लगता है, तुम भी कहोगे
इतना भी ना मांगो खुद से कि
खोखले हो जाओ|